क्या आप जानते हैं कि हमारे दिमाग में एक खास हिस्सा होता है जिसे “anterior midcingulate cortex” कहा जाता है?
यह नाम सुनने में थोड़ा जटिल लग सकता है, लेकिन इसका काम बेहद खास है। इसे हम मज़ाक में “कुकी मॉन्स्टर” भी कह सकते हैं, क्योंकि असली बात नाम नहीं, इसका काम है।
अब तक के वैज्ञानिक शोधों से साफ़ हो गया है कि जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जो हमें पसंद नहीं है — जैसे रोज़ 3 घंटे एक्सरसाइज़ करना, डाइट पर टिके रहना, या किसी लालच से दूर रहना — तब यही दिमाग का हिस्सा सक्रिय होता है और बड़ा भी होता है।
यानि, जब भी हम कुछ ऐसा करते हैं जिसे हम करना नहीं चाहते लेकिन फिर भी करते हैं, तो यह हिस्सा मजबूत होता है। और इसी हिस्से की ताकत हमें मुश्किलों से लड़ने की ताकत देती है।
❗ लेकिन अगर आप एक दिन कोई मुश्किल काम करते हैं और अगली बार उसे करने से बचते हैं, तो यह हिस्सा फिर से सिकुड़ने लगता है।
📌 वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हिस्सा न सिर्फ “विलपावर” (इच्छाशक्ति) का केंद्र है, बल्कि यह हमारी “जीवन जीने की इच्छा” से भी जुड़ा हो सकता है।
इसलिए जिन लोगों ने जीवन में कठिनाइयों को पार किया है — जैसे कि एथलीट, चुनौती का सामना करने वाले, या लंबे जीवन जीने वाले — उनमें यह हिस्सा ज़्यादा मजबूत होता है।
🧠 उदाहरण के लिए, अगर आपको बर्फ के पानी से नफरत है और आप उसमें उतरते हैं, तो आपका ये ब्रेन-हिस्सा मजबूत होता है। लेकिन अगर आप बर्फीले पानी में आनंद लेने लगे तो फायदा बंद हो जाता है। यानी जो काम आपको कठिन लगता है वही आपके मस्तिष्क को ताकतवर बनाता है।
💡 बात बस इतनी है — अगर आप हर दिन कुछ ऐसा करते हैं जो कठिन है, जो आपको डराता है, जिसे आप करना नहीं चाहते — लेकिन फिर भी करते हैं, तो यही असली ‘हैक’ है।
🗣 डेविड गॉगिन्स कहते हैं —
“लोग मुझसे कहते हैं – तुम्हारे पास मजबूत दिमाग है। लेकिन ये कोई भगवान का वरदान नहीं है। ये मैंने बनाया है – सालों तक संघर्ष करके। जब भी मैं कुछ करने लायक नहीं होता, तब मैं खुद से लड़ता हूँ।”
और यही बात neuroscience भी कहती है — विलपावर कोई जादू नहीं है, यह एक मांसपेशी की तरह है, जिसे रोज़ अभ्यास करके बढ़ाया जा सकता है।
🚫 कोई ‘हैक’ नहीं है, कोई शॉर्टकट नहीं है।
✅ सिर्फ एक रास्ता है:
“कठिन चीजें रोज़ करना — खासकर वो जो आप नहीं करना चाहते।”
🎯 यही जीवन का सच्चा विकास है — जो चीज आपको सबसे ज़्यादा डराती है, जो आपको सबसे ज़्यादा असहज लगती है, वहीं आपकी ताकत छुपी होती है।
और जब आप खुद से ये असली लड़ाई जीतते हैं — तो आपको कभी ये महसूस नहीं होता कि आप कुछ खो रहे हैं। क्योंकि आप अपने भीतर छिपी उस 75% शक्ति को बाहर लाते हैं, जो बाकी दुनिया में कहीं और नहीं मिल सकती।