Brain vs Mind: Samjhiye Man aur Mastishk ki Real Guth

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“ब्रेन” यानी मस्तिष्क एक हार्डवेयर है, और “मन” उसका सॉफ्टवेयर।
मन वह है जो हमारी हर सोच, भावना और पसंद-नापसंद की कोडिंग करता है। हमें क्या अच्छा लगता है, क्या बुरा, यह सब मन तय करता है।

हमारे मस्तिष्क में चार प्रकार की ब्रेन वेव्स (Brain Waves) होती हैं:

  1. बीटा वेव्स (Beta Waves): जब हम बात कर रहे होते हैं, जैसे अभी आप और मैं संवाद कर रहे हैं, तब मस्तिष्क का फ्रंटल कॉर्टेक्स सक्रिय होता है – इसे फास्ट रिदम भी कहते हैं।
  2. अल्फा वेव्स (Alpha Waves): जब हम आंखें बंद करके अपने मन को शांत करते हैं, तब ये वेव्स सक्रिय होती हैं।
  3. थीटा वेव्स (Theta Waves): ये वेव्स नींद से पहले की स्थिति में आती हैं, जब मन और शरीर दोनों शांति की अवस्था में होते हैं।
  4. डेल्टा वेव्स (Delta Waves): ये गहरी नींद के दौरान सक्रिय होती हैं।

अब एक प्रयोग करें – एक उंगली से सांस लें। अगर दाहिनी नासिका से सांस चल रही है, तो आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय है, जिससे मस्तिष्क एक्टिव मोड में होता है। जब हम गहरी सांस लेते हैं (Five-Finger Breathing), तो फ्रंटल कॉर्टेक्स और लिंबिक सिस्टम के बीच संतुलन बनता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।

हम सब क्या चाहते हैं?

चाहे आप पॉडकास्ट कर रहे हों, कोई डॉक्टर हों, या कैमरा चला रहे हों – हर किसी की मंज़िल है:

  • सफलता (Success)
  • धन (Money) – जिससे एक बेहतर जीवन जिया जा सके
  • और सबसे महत्वपूर्ण: खुशहाली (Happiness)

मस्तिष्क के दो भाग और उनकी भूमिकाएं

  • बाएं भाग का मस्तिष्क (Left Brain): यह अधिक लॉजिकल, स्ट्रक्चर्ड और अनुशासित होता है। इसे सब कुछ समय पर और योजना के अनुसार चाहिए।
  • दाएं भाग का मस्तिष्क (Right Brain): यह क्रिएटिव, इमेजिनेटिव और थोड़ा अव्यवस्थित होता है। इसे नए विचार, कल्पनाएं और “आउट ऑफ द बॉक्स” सोच पसंद आती है।

नींद की समस्या – एक बढ़ती हुई चिंता

आज लगभग 45% लोग दुनियाभर में इंसोम्निया (नींद न आना) से पीड़ित हैं। नींद है, लेकिन चैन से सोना नहीं है – यह सबसे आम मानसिक समस्याओं में से एक बन चुकी है।


पॉडकास्ट से बातचीत की झलक

ऋषभ अग्रवाल के साथ “योग चरण पॉडकास्ट” में, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अडातिया ने यह चर्चा की। 20 वर्षों से मस्तिष्क और मन की गुत्थियों को समझने का उनका अनुभव इस विषय को और भी रोचक बना देता है।

डॉ. श्वेता कहती हैं:

“अगर हम मस्तिष्क को खोलें तो देख सकते हैं, लेकिन मन को नहीं। मन एक ऊर्जा है, जो सर्वव्यापी है – हमारे शरीर, विचार, और भावनाओं में हर जगह फैला है।”

मन को कैसे समझें?

आजकल हर कोई कहता है – “हमारा मन बहुत भटकता है”, “हमें ओवरथिंकिंग हो रही है।”
लेकिन सच्चाई यह है कि मन का स्वभाव ही विचलित होना है। हम रोज़ लगभग 40,000 से 50,000 विचार सोचते हैं। इसीलिए मन को पूरी तरह काबू करना आसान नहीं है।

मस्तिष्क तीन भागों में काम करता है:

  1. ब्रेन स्टेम (Brain Stem): जो बेसिक बॉडी फंक्शंस जैसे हार्ट बीट और सांस को नियंत्रित करता है।
  2. लिंबिक सिस्टम (Limbic System): जो हमारी भावनाओं को संचालित करता है।
  3. नियो-कोर्टेक्स (Neo-cortex): जो लॉजिकल और रेशनल सोच के लिए जिम्मेदार है।

निष्कर्ष

मन को समझना और उसे संतुलित रखना जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है। मस्तिष्क का हार्डवेयर समझकर, हम मन के सॉफ्टवेयर को बेहतर बना सकते हैं।