Udaasi aur Depression – Dono Ek Jaise Kyun Nahi Hote?

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Aksar na hum bol dete हैं – “यार आज मैं बहुत depressed हूं…” लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो feeling आप ले रहे हो वो सच में depression है या बस udaasi?

Social media पे आपने बहुत सी reels देखी होंगी, quotes पढ़े होंगे – लेकिन आज थोड़ा गहराई से बात करते हैं।
क्योंकि udaasi aur depression सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन होते बहुत अलग हैं।


☝️ सबसे पहले – Udaasi normal hai

देखो, हर किसी की life में ऐसे moments आते हैं जब सब कुछ dull लगने लगता है। किसी की बात बुरी लग गई, कोई सपना टूट गया, या बस दिन ही खराब चल रहा है। ऐसे में हम low feel करते हैं – और यही normal udaasi होती है।

लेकिन… जब ये feeling हफ्तों या महीनों तक बनी रहती है, और आपकी life के हर हिस्से को affect करने लगती है – तब बात serious हो जाती है।


🔍 तो फर्क कैसे समझें? Yeh 7 baatein dhyan se padho:

1. छोटी-छोटी चीजों में भी खुशी मिलती है?

अगर आप अब भी अपनी favourite series देखकर हंस लेते हो, ya music सुनकर chill feel करते हो – तो वो depression नहीं है।
Depression में ऐसा होता है कि वो cheezein jo kabhi happiness deti थीं, ab unmein bhi kuch mehsoos nahi hota.


2. रोज़ के काम करने की हिम्मत है?

Udaas इंसान थोड़ा सुस्त हो सकता है, लेकिन भूख लगती है, नहाता है, उठकर चलता है।
Depressed इंसान को ये छोटी-छोटी चीजें भी पहाड़ लगती हैं। बिस्तर से उठना मुश्किल हो जाता है।


3. क्या आप अब भी apne doston se baat karte ho?

Sad होने पर इंसान अकेले रहना चाहता है, लेकिन eventually वापस connect करता है।
Depression में इंसान खुद को सब से काट देता है। ना किसी से बात, ना emotions share करना – बस एक खालीपन।


4. Self-respect अभी भी बना हुआ है?

Udaasi में guilt, regret हो सकता है… लेकिन धीरे-धीरे ठीक होता है।
Depression में negative thoughts बार-बार आते हैं – और कभी-कभी self-harm तक की feelings भी।


5. कहीं ये burnout तो नहीं?

Kabhi-kabhi life की थकान भी depression जैसा feel कराती है – जैसे overwork, toxic routine, ya emotional drain.
But burnout ka solution होता है – break lena, fun karna, change lana. Depression में ये सब भी काम नहीं करता।


6. रोने के बाद हल्का महसूस होता है?

अगर आप रोने या बात करने के बाद थोड़ा हल्का feel करते हो – तो वो sadness है।
Depression में इंसान ऐसा feel करता है कि kuch bhi bolne ka fayda nahi… main kisiko deserve nahi karta.


7. Time के साथ चीजें ठीक हो रही हैं?

Sadness waqt ke saath better हो जाती है।
Depression वही रहता है… din, hafte, ya mahine तक।


💡 तो करना क्या है?

अगर आपको लग रहा है कि आपकी feeling थोड़ी heavy है, तो सबसे पहले खुद से मत डरिए।
किसी therapist से बात करना कोई weakness नहीं होती – वो आपकी सबसे बड़ी strength बन सकती है।

Aur agar aapke aaspaas koi ऐसा है जो is phase se गुजर रहा है, तो बस सुनिए… साथ दीजिए… presence ही काफी होती है।


🤝 Aapka next step?

Khud से honest हो जाइए – udaasi है या depression?
Aur agar help की ज़रूरत है, तो please बात करिए। Life हर रोज़ एक नई शुरुआत दे सकती है – बस उसके लिए थोड़ा सा खुलना पड़ता है।