जो कुर्सी पर आप बैठे हैं, आपके विचार, आपकी भावनाएँ — ये सब ऊर्जा हैं।
ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है, न ही खत्म किया जा सकता है।
हम केवल इसे एक रूप से दूसरे रूप में बदल सकते हैं।
आप सिर्फ एक शरीर नहीं हैं जो इस भौतिक दुनिया में रह रहा है —
आप ऊर्जा से बने हैं, और इस ब्रह्मांड में मौजूद हैं जहाँ हर चीज़ ऊर्जा में कंपन कर रही है।
इसका मतलब यह है कि आप ऊर्जा को भेज सकते हैं और प्राप्त भी कर सकते हैं।
“मन की ऊर्जा ही जीवन का सार है।” — अरस्तू
हर जीवित चीज़ में कंपन होता है।
हर रंग और आवाज़ की अपनी एक फ़्रीक्वेंसी होती है।
प्राचीन मिस्र में हर्मीस त्रिस्मेजिस्टस ने इन फ़्रीक्वेंसीज़ को रिकॉर्ड किया था।
कुछ प्राचीन इमारतों की डिज़ाइन वास्तव में ध्वनि कंपन के पैटर्न हैं।
उदाहरण के लिए 432 हर्ट्ज़ की संगीत फ़्रीक्वेंसी एक विशेष ऊर्जा देती है।
जीवन का हर रूप, मन और पदार्थ — सब कुछ कंपन है।
ऊर्जा को आप ईश्वर भी कह सकते हैं।
ईश्वर = ऊर्जा में क्रिया।
जब आप यह महसूस करते हैं, तो शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
बुद्ध ने कहा था:
जो कुछ भी मन में उठता है, वह शरीर में एक संवेदना के रूप में बहने लगता है।
हर व्यक्ति की ऊर्जा अलग होती है और यह उसके अनुभवों से प्रभावित होती है।
हमारी सोच और भावनाएँ हमारी ऊर्जा को प्रभावित करती हैं।
“I AM” — यह वाक्य जब आप पूरी भावना से बोलते हैं, तो आपकी ऊर्जा की फ़्रीक्वेंसी बढ़ती है।
जब हम अपनी ऊर्जा की फ़्रीक्वेंसी बढ़ाते हैं, तो हम ब्रह्मांड की ऊर्जा से जुड़ जाते हैं।
इससे हम अपनी सोच के अनुसार वास्तविकता बना सकते हैं।
हमारा शरीर भी एक क्वांटम मशीन की तरह है — कंपन करता हुआ, ऊर्जा से भरा हुआ।
असल में हम “ठोस” से ज़्यादा “कंपन” हैं।
विचार + भावना + अनुभूति = ऊर्जा (वाइब्रेशन)
“प्यार” शब्द की फ़्रीक्वेंसी “नफ़रत” से ज़्यादा होती है।
“शांति” की फ़्रीक्वेंसी “चिंता” से ऊँची होती है।
“ईश्वर” का नाम लेने से ऊँची ऊर्जा मिलती है।
“शैतान” का नाम लेने से ऊर्जा नीचे गिरती है।
कुछ महान विचारकों के अनुसार:
- कांत ने कहा कि हमारा मन जिस रूप में चीज़ों को देखता है, उसी रूप में हम अनुभव करते हैं।
- लाओ त्सु ने कहा — “अपने विचारों को देखो, वे तुम्हारे शब्द बनेंगे, शब्द कर्म बनते हैं, कर्म आदतें बनते हैं और आदतें तुम्हारा चरित्र और अंत में तुम्हारा भाग्य बन जाती हैं।”
अगर आप सकारात्मक सोचते हैं, तो आप उसी प्रकार की चीज़ों और अनुभवों को आकर्षित करते हैं।
अगर आप कमी पर ध्यान देते हैं, तो वही कंपन ब्रह्मांड में भेजते हैं — और वह आपको और कमी देगा।
प्लेटो, कामू और सेनेका जैसे दार्शनिकों ने भी विचारों और भावनाओं की ऊर्जा को समझाया है।
कामू ने कहा कि हमें जीवन की निरर्थकता के बावजूद उसमें अर्थ और खुशी लानी चाहिए — यह भी एक तरह की ऊर्जा है।
सेनेका ने बताया कि हमें भावनाओं पर काबू रखकर अंदरूनी शांति बनाए रखनी चाहिए।
डेविड बॉम, एक क्वांटम भौतिकविद् ने कहा कि हमारी वास्तविकता ऊर्जा के छिपे हुए स्तरों से जुड़ी होती है।
हमें दिखती दुनिया, सिर्फ एक सतह है — असली ऊर्जा तो अंदर चल रही कंपन है।
ऊँची ऊर्जा पाने के सरल तरीके:
- आभार प्रकट करें (Gratitude): यह सकारात्मक ऊर्जा को खींचता है।
- सजग रहें (Mindfulness): जो भी कर रहे हैं, उसमें पूरी तरह उपस्थित रहें।
- सकारात्मक वातावरण बनाएं: अच्छे लोगों और चीज़ों के बीच रहें।
- प्राकृतिक जीवन जिएं: प्रकृति के पास समय बिताएं।
- ध्यान लगाएँ: यह आपके मन और आत्मा को शांत करता है।
- ऊर्जा चिकित्सा अपनाएँ: जैसे रेकी, एक्यूपंक्चर या ध्वनि चिकित्सा।
- सकारात्मक वाक्य बोलें (Affirmations): जैसे — “मैं शक्तिशाली हूँ”, “मैं ऊर्जा हूँ”।
- स्वस्थ आहार और व्यायाम करें: शरीर स्वस्थ तो ऊर्जा प्रवाह भी अच्छा।
निष्कर्ष:
ऊर्जा एक बार की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है।
आपके विचार, भावनाएँ, खानपान, और व्यवहार — ये सब आपकी ऊर्जा तय करते हैं।
जैसे-जैसे आप अपनी वाइब्रेशन बढ़ाते हैं, वैसे-वैसे आपकी ज़िंदगी भी बेहतर और उद्देश्यपूर्ण होती जाती है।